भारत में महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ काम करने तक सीमित नहीं रही है। यह देश की आर्थिक ग्रोथ का मुख्य इंजन बन चुकी है। सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले छह वर्षों में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (Female Labour Force Participation Rate – LFPR) 23.3% से बढ़कर 41.7% हो गई है।
यह रिकॉर्ड-तोड़ वृद्धि न केवल रोज़गार, बल्कि महिलाओं की उद्यमिता और नेतृत्व क्षमता को भी मज़बूती दे रही है। यह बदलाव ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे बड़ा कदम है।
मुख्य बातें: सरकारी डेटा से बड़ा बदलाव
- रिकॉर्ड तोड़ ग्रोथ: 2017-18 में 23.3% LFPR अब 2023-24 में 41.7% तक पहुँच गया है।
- कानूनी सुरक्षा: मातृत्व लाभ अधिनियम (Maternity Benefit Act), POSH Act, और सोशल सिक्योरिटी कोड महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करते हैं।
- उद्यमिता में तेज़ी: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) में 68% लाभार्थी महिलाएं हैं, जो दिखाता है कि महिलाएं अब बड़े पैमाने पर बिज़नेस कर रही हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय पहचान: वर्ल्ड बैंक डेटा के अनुसार, पिछले दशक में BRICS देशों में महिला श्रम भागीदारी में सबसे बड़ी छलांग भारत ने लगाई है।
औपचारिक रोज़गार में महिलाओं की बढ़त
महिला कार्यबल भागीदारी में यह उछाल महज़ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि देश की प्रगति का संकेत है।
- हालिया EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) डेटा के मुताबिक, 2024-25 में 26.9 लाख नई महिला सदस्य औपचारिक रोज़गार (Formal Employment) से जुड़ीं।
- यह आंकड़ा भारत के कार्यबल के अधिक समावेशी और विविध होने को दिखाता है।
महिलाओं के लिए मज़बूत कानूनी सुरक्षा कवच (Sarkari Laws)
महिलाओं की सुरक्षा, कल्याण और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कानूनी ढांचे को मज़बूत किया है:
कानून का नाम | मुख्य लाभ (महिलाओं के लिए) |
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मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (संशोधित 2017) | 26 सप्ताह की पेड मैटरनिटी लीव। 50 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालयों में क्रेश (Crèche) सुविधा अनिवार्य। सरोगेट माताओं के लिए भी प्रावधान। |
POSH Act, 2013 | कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम। आंतरिक शिकायत समिति (ICC) और स्थानीय शिकायत समिति (LCC) का गठन अनिवार्य। |
Equal Remuneration Act, 1976 | समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना। यह कानून लैंगिक आधार पर वेतन भेदभाव को खत्म करता है। |
Social Security Code, 2020 | असंगठित (Unorganised) और प्लेटफॉर्म सेक्टर सहित सभी महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा लाभों का विस्तार। |
कौशल और उद्यमिता से सशक्तिकरण (Empowerment Schemes)
सरकार की ये योजनाएं महिलाओं को रोज़गारदाता (Job Creators) बना रही हैं:
सरकारी योजना का नाम | महिलाओं के लिए खास उपलब्धि और उद्देश्य |
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PMMY (मुद्रा योजना) | महिला उद्यमिता को बढ़ावा। योजना के तहत 68% से अधिक खाताधारक महिलाएं हैं। |
Stand-Up India | SC, ST और महिला उद्यमियों को नया उद्यम शुरू करने के लिए ऋण। 2.01 लाख से अधिक खाते महिलाओं के नाम हैं। |
PMKVY | उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण में 45% लाभार्थी महिलाएं हैं। |
NAVYA (नई पहल) | 16-18 साल की लड़कियों को डिजिटल मार्केटिंग, साइबर सुरक्षा, और वित्तीय साक्षरता जैसे नए क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण। |
Start Up India | देश में 75,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप (Women Led Startups) को सहायता और बढ़ावा। |
महिलाओं के लिए सहायक इकोसिस्टम: मिशन शक्ति
महिला सुरक्षा, बचाव और सशक्तिकरण के लिए ‘मिशन शक्ति’ के तहत एक व्यापक इकोसिस्टम बनाया गया है:
- संबल (सुरक्षा और बचाव): इसमें हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (181-WHL) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
- सामर्थ्य (सशक्तिकरण और पुनर्वास): इसमें सुरक्षित आवास के लिए सखी निवास, ज़रूरतमंद महिलाओं के लिए एकीकृत राहत गृह (शक्ति सदन) और बच्चों की देखभाल के लिए पालना (क्रेश) सुविधा शामिल है।
- PMMVY: यह गर्भावस्था/प्रसव के दौरान मज़दूरी के नुकसान का मुआवजा देता है, अब दूसरी संतान लड़की होने पर भी इसका लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
भारत में महिला सशक्तिकरण की यह लहर सरकारी योजनाओं (Sarkari Scheme) और कानूनी सुरक्षा पर आधारित है। बढ़ती महिला भागीदारी और महिला उद्यमिता ‘विकसित भारत @2047’ के सपने को साकार कर रही है। सुरक्षित, समान और अवसर संपन्न कार्यस्थल नारी शक्ति को देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में मुख्य चालक बना रहा है।